श्री विद्या ललिता त्रिपुर सुन्दरी धन, ऐश्वर्य, भोग एवं मोक्ष की अधिष्ठाता देवी हैं। अन्य विद्याओं की उपासना मंत या तो भोग मिलता है या फिर मोक्ष, लेकिन श्री विद्या का उपासक जीवन पर्यन्त सारे ऐश्वर्य भोगते हुए अन्त में मोक्ष को प्राप्त करता है। इनकी उपासना तंत्र शास्त्रों में अति रहस्यमय एवं गुप्त रूप से प्रकट की गयी है। पूर्व जन्म के विशेष संस्कारों के बलवान होने पर ही इस विद्या की दीक्षा का योग बनता है। ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जिन्हे इस जीवन में यह उपासना करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। मुख्य रूप से इनके तीन स्वरूपों की पूजा होती है। प्रथम आठ वर्षीया स्वरूप बाला त्रिपुरसुन्दरी, द्वितीय सोलह वर्षीया स्वरूप षोडशी, तृतीय युवा अवस्था स्वरूप ललिता त्रिपुरसुन्दरी। श्री विद्या साधना में क्रम दीक्षा का विधान है एवं सर्वप्रथम बाला सुन्दरी के मंत्र की दीक्षा साधको को दी जाती है। यदि आप ये साधना करना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क कर सकते है।